वो अधुरी कहानी- टूटे दिल की दास्ताँ!
वो अधुरी कहानी-टूटे दिल की दास्तां
हिमांशु पाठक
मौलिक व अप्रकाशित
वो अधूरी कहानी ना पूरी हुई।
जो खतम हो गयी और शुरू ना हुई।
दिल के जज़्बात दिल में धरे रह गये,
वो किसी और की प्रियतमा हो गयी।
रात में मुझसे मिलने को आई थी वो,
ख्वाब मे सबसे छुपकर के आई थी वो।
ॴखों में आंसु थें और लब खामोश थें,
देखकर , चुपके से मुस्कुराई थी वो।
ना मैं कुछ कह सका, ना वो कुछ कह सकी,
रात कब आई ,आकर गुजर सी गई।.
दास्तां-ऐं-मुहब्बत अधूरी रही,
वो ख़तम हो गई,जो शुरू ना हुई।
सुबह को जो उठा, सोचा मिल आऊं मैं,
बात जो रह गई, पूरी कर आऊं मैं।
सोचकर मैं,यही ,घर से निकला तो था,
होकर आतुर प्रतीक्षा, मैं करता तो था।
सोचता था कि जब पास आएगी वो,
थोड़ा रूठेगी, फिर मान जाएगी वो।
मेरी बाहों में आकर सिमट जाएगी,
मेरे सीने में आकर लिपट जाएगी।।
आंसु पोछूंगा उसके वो जब रोएगी,
पर ना ऐसा तो कुछ भी हुआ ही नहीं,
दास्तानें मुहब्बत पलट ही गई,
वो किसी और की सारथी बन गई,
दिल के जज़्बात आंसु बनकर बहें,
सारे अरमान मानों बिखर से गयें।
वो किसी और की प्रियतमा हो गई,
वो अधुरी कहानी ना पूरी हुई,
वो ख़तम हो गई, जो शुरू ना हुई।।
हिमांशु पाठक
॓पारिजात ॔,
ए-36,जज फार्म,
छोटी मुखानी,
हल्द्वानी-263139,
नैनीताल, उत्तराखंड
मोबाइल-7669481641
Gunjan Kamal
02-Feb-2023 12:14 PM
शानदार प्रस्तुति 👌
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Varsha_Upadhyay
01-Feb-2023 09:37 PM
Nice 👍🏼
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Abhinav ji
01-Feb-2023 08:20 AM
Very nice
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